क्या भगवान विष्णु और ब्रह्मा अपने ही शरीर के अंगों से उत्पन्न हुए थे? हिंदू धर्मशास्त्रों की सच्चाई

 क्या भगवान विष्णु और ब्रह्मा अपने ही शरीर के अंगों से उत्पन्न हुए थे? हिंदू धर्मशास्त्रों की सच्चाई


क्या भगवान विष्णु और ब्रह्मा अपने शरीर के अंगों से उत्पन्न हुए थे? जानिए पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सच्चाई और इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्य।


 

भूमिका

हिंदू धर्म की पौराणिक कथाएं गहराई से भरी हुई हैं, जिनमें प्रतीकात्मकता और अध्यात्म का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।
एक रोचक प्रश्न अक्सर उठता है:
"क्या भगवान विष्णु या ब्रह्मा अपने शरीर के अंगों से उत्पन्न हुए थे?"

आइए इस प्रश्न का उत्तर हम वेद, पुराण और उपनिषदों की दृष्टि से खोजते हैं।






विष्णु की नाभि से ब्रह्मा का जन्म — मुख्य मान्यता

भागवत पुराण, विष्णु पुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार:

  • भगवान विष्णु सृष्टि के पालक माने जाते हैं।

  • वे क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं।

  • उनकी नाभि से एक कमल उत्पन्न होता है।

  • उसी कमल से भगवान ब्रह्मा का जन्म होता है, जो सृष्टि की रचना करते हैं।



निष्कर्ष: ब्रह्मा विष्णु के किसी हाथ, पैर या अन्य अंग से नहीं, बल्कि नाभि से उत्पन्न कमल से प्रकट होते हैं। यह एक गहन आध्यात्मिक प्रतीक है।



वेदों की दृष्टि: पुरुष सूक्त और सृष्टि

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में एक महापुरुष (Cosmic Being) का वर्णन है:

  • उस पुरुष के शरीर से संपूर्ण सृष्टि उत्पन्न होती है:

    • मुख से ब्राह्मण

    • भुजाओं से क्षत्रिय

    • जंघा से वैश्य

    • चरणों से शूद्र

हालाँकि, कुछ लोग इस महापुरुष को नारायण या विष्णु मानते हैं, पर यह देवताओं की उत्पत्ति नहीं, बल्कि समाज व्यवस्था और सृष्टि संरचना का प्रतीकात्मक वर्णन है।





प्रतीकों में छिपे गूढ़ अर्थ

नाभि: सृष्टि का केंद्र (Center of Creation)


कमल: दिव्यता, शुद्धता और विकास का प्रतीक


पुरुष सूक्त: यह दर्शाता है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक ही दिव्य चेतना का विस्तार है।


निष्कर्ष

नहीं, हिंदू धर्मशास्त्रों में ऐसा नहीं कहा गया है कि भगवान विष्णु या ब्रह्मा अपने ही शरीर के अंगों (जैसे हाथ) से उत्पन्न हुए।

बल्कि:


✅ ब्रह्मा का जन्म विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से हुआ।

✅ पुरुष सूक्त में सृष्टि की प्रतीकात्मक उत्पत्ति का वर्णन है, न कि देवताओं की शारीरिक रचना का।

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